Aalhadini

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Murder or trap 7

  मृदुल, चिराग और रुद्र तीनों दीप के घर जाने के लिए निकल गए। उन्हें बीस मिनट लगे वहाँ तक पहुंचने में.. जब वो सोसाइटी के मेन गेट पर पहुँचे तो ऑलरेडी सवा बारह बज चुके थे।


रुद्र ने जैसे ही अपनी गाड़ी गेट के सामने रोकी.. गार्ड ने रुद्र को देखते ही सलाम किया और दरवाज़ा खोल दिया।

"काका एन्ट्री..??" रुद्र ने पूछा।

"हम कर लेंगे बेटा.. तुम जाओ।" गार्ड के इतना कहते ही रुद्र ने मुस्कराकर गर्दन झुकाई और गाड़ी अंदर ले गया।

दीप के बंगले के एंट्रेंस गेट के चौकीदार को भी पहले से ही इंस्ट्रक्शन मिले हुए थे कि अगर रूद्र आए तो उसे अंदर भेज देना.. इसीलिए दीप के चौकीदार ने भी रुद्र को नहीं रोका। वह तीनों कार से अंदर चले गए और बंगले के मेन गेट के एक साइड अपनी कार पार्क कर दी।

 एंट्रेंस पर ही रनवीर उन्हें रिसीव करने आ गया था। रनवीर ने रुद्र से कहा,  "ऑफिसर..! सारे घर वाले इस वक्त बाहर गए हैं.. सभी लोग शाम 5:00 बजे तक वापस लौटेंगे।  तो प्लीज आप को जो भी इन्वेस्टिगेशन करनी है.. आप उससे पहले खत्म कर लीजिएगा और अगर आपको किसी के बयान चाहिए तो उसके लिए आपको कल शाम 5:00 बजे आना होगा। आज संडे है तो आज बयान मिलना पॉसिबल नहीं है।"

रुद्र ने कहा,  "ओके..!! हमें कोई प्रॉब्लम नहीं है। पर हो सकता है हमें इन्वेस्टिगेशन के लिए दो तीन बार और आना पड़े।"
 
"ठीक है.. मैं दीप सर को इस बारे में इन्फॉर्म कर दूंगा।  वैसे आप लोग क्या लेंगे चाय या कॉफी??" रनवीर ने पूछा।

"नहीं..!! नहीं..!! हम लोग कुछ भी नहीं लेंगे। बस फ़िलहाल तो हम अनीता जी के रूम में जाना चाहेंगे।" चिराग ने कहा।

 "श्योर.. मैं आपको छोड़ देता हूं।" रनवीर ने सीढ़ियों की तरफ जाते हुए कहा।

"आप तकलीफ मत कीजिए.. हम चले जाएंगे।"  मृदुल ने जवाब दिया।
 
इसके बाद वो तीनो अनीता के बेडरूम की तरफ सीढ़ियां चढ़कर चले गए।  सीढ़ियां चढ़ते चढ़ते ही उन्होंने अपने हाथों में ग्लव्ज पहन लिए थे। 

वो लोग ऊपर चढ़कर गए तो वहां से लेफ्ट में पहला दरवाजा ही अनीता का बैडरूम था।  मृदुल ने इशारे से रुद्र को बताया, "यही है..! अनीता का  बेडरूम!!"

 रूद्र ने उन्हें इशारे से पीछे रहने के लिए कहा और खुद दरवाजे को खोलकर पहले अंदर गया। 

पहली बार को देखने पर रूम बिल्कुल साफ सुथरा और क्लीन लग रहा था। उस कमरे को देखकर कोई भी नहीं कह पता था कि इस रूम में कोई आता जाता भी होगा।

 मृदुल ने रूद्र से कहा, "यह तो बिल्कुल साफ सुथरा है.. हम यहां कौन सा सबूत ढूंढने आए हैं??"

 रूद्र ने उसे इशारे से चुप करवाया और हर एक चीज को बारीकी से देखने लगा। रूद्र ने चिराग से कहा, 
"चिराग..!! तुम बाथरुम में जाओगे और हर एक छोटी से छोटी चीज देखोगे। अगर कुछ भी मिलता है तो तुम मुझे बताओगे।"

 चिराग ने हां में इशारा किया और बाथरूम का डोर खोलकर बाथरूम में चला गया। रूद्र ने मृदुल से कहा, "तुम कबर्ड चेक करोगे..! हर एक चीज..!"
 मृदुल ने भी गर्दन हिलाकर सहमति जताई और वह भी कबर्ड के पास चला गया। 

 रुद्र ने अपनी जेब से मैग्नीफाइंग ग्लास निकाला और सबसे पहले खिड़की के पास जाकर देखने लगा। 

मृदुल उस समय पहली कबर्ड खोल चुका था।  मृदुल ने भी एक मैग्नीफाइंग ग्लास निकालकर उस कबर्ड के हैंडल.. कबर्ड के अंदर दरवाजे.. और उसके अंदर रखें दीप के सूट को एक-एक करके देखना शुरू कर दिया।  हर एक चीज पर मृदुल ने बहुत बारीकी से नजर मारी थी।
 
मृदुल ने दूसरी अलमारी खोली और वहां रखे सामान को भी बारीकी से देखने लगा। दूसरी कबर्ड में दीप का ही कॉस्मेटिक का सामान रखा था।  मृदुल ने हर एक बोतल को उठाकर ठीक से चेक किया।

 सबसे कोने में दीप की एक ब्रांडेड वॉच का एक डब्बा रखा था। मृदुल ने जब उसे खोल कर देखा तो.. उस ब्रांडेड  घड़ी में कुछ धागे जैसे फंसे हुए नजर आए।
 मृदुल ने रूद्र को आवाज लगाकर कहा, "रूद्र 1 मिनट यहां आना।"
 
रुद्र उस समय खिड़की पर मैग्नीफाइंग ग्लास से कुछ ढूंढने की कोशिश कर रहा था।

 मृदुल के पुकारने पर रूद्र वहां आया और उसने पूछा, "क्या हुआ..? मृदुल क्या बात है??"

 मृदुल ने कहा, "रुद्र.. यह देखो..! इस घड़ी में कुछ धागे फंसे हुए हैं.. यह धागे कुछ अजीब से दिख रहे हैं। मुझे लगता है यह शायद हमारे काम के हो सकते हैं।"
 
रूद्र ने कहा,  "हां..! कोई भी चीज जो तुम्हें लगे कि हमारे काम आ सकती है.. उसे छोड़ना मत!"

 ऐसा कहकर रूद्र वापस खिड़की के पास चला गया और मृदुल ने वह धागे एक प्लकर से उठाकर एक ज़िपलॉक बैग में रख दिए।

 आगे ढूंढने पर दीप के सारे शूज देखें.. सभी शूज साफ-सुथरे और एक ही पैटर्न में जमे हुए थे।  सिर्फ एक शूज के सोल के पास कुछ मिट्टी लगी दिखी। मृदुल को किसी एक जूते के पैर पर मिट्टी का लगा होना.. थोड़ा सा परेशान कर रहा था। क्योंकि बाकी के सारे शूज बिल्कुल नीट एंड क्लीन थे।
 
दीप के घर में भी कहीं भी मिट्टी का कोई नामोनिशान नहीं था। वह मिट्टी कुछ अलग सी  लग रही थी। मृदुल ने उस मिट्टी को भी एक ज़िप लॉक बैग में रख लिया। 

धीरे धीरे मृदुल ने सारे वार्डरोब चेक कर लिए थे। उसे कपड़े के कुछ धागे और जूते पर लगी मिट्टी मिली थी।
 अब बस मृदुल को आखिरी अलमारी ढूंढना ही बाकी बचा था। लास्ट अलमारी खोलने पर मृदुल ने वह पूरी चेक की.. उस अलमारी में बस कुछ वेस्ट सामान ही पड़ा था।  पर उनमें एक शर्ट ऐसी थी.. जिसका बटन टूटा हुआ था..!!

 वैसे तो यह बात नॉर्मल ही थी पर फिर भी मृदुल ने देखा तो उस शर्ट का एक बटन गायब था और शर्ट के एक बटन को किसी और शेड के धागे से लगाया गया था। वह शर्ट वाइट कलर की थी बाकी के सारे बटन भी वाइट कलर से ही लगे हुए थे.. बट सिर्फ वही एक  बटन आइवरी व्हाइट कलर के धागे से लगाया हुआ था। वो शर्ट कफ्लिंग के साथ पहनने वाली थी.. और उसके एक कफ में कफ्लिंग लगा हुआ था और दूसरा कफ खाली था। मृदुल ने कुछ सोचते हुए उस शर्ट को भी एक बैग में पैक कर लिया।


वही दूसरी तरफ बाथरूम में चिराग हर एक चीज़ को अपने  मैग्नीफाइंग ग्लास से चेक कर रहा था। उसने हर एक चीज़ को उलट पलट कर देखना शुरू कर दिया था। चिराग फिर से अपनी पुरानी गलती दोहराना नहीं चाहता था.. जो उनसे इसी केस की पिछली इन्वेस्टिगेशन के टाइम हुई थी। इस बार वो पूरी तरह से सजग था।

इस केस में डाॅमेस्टिक वायलेंस का ऐंगल आने के बाद से ही चिराग और मृदुल दोनों ही आत्मग्लानि में थे कि उनके ही कारण एक सताई हुई औरत को न्याय मिलने से पहले ही उन्होंने केस बंद कर दिया था। इसी ग्लानि की वजह से चिराग की नजर इस बार पहले से भी ज्यादा तेज थी।

वो बाथरूम एक नॉर्मल मिडल क्लास वाले लोगों के ड्रॉइंग रूम से भी ज्यादा बड़ा था। पूरा बाथरूम ग्लास का बना हुआ था.. जिसमें पार्टिशन भी ग्लास का ही था। पार्टिशन के एक साइड टॉयलेट सीट थी और दूसरी तरफ एक बड़ी सी जकूज़ी रखी हुई थी। टॉयलेट्रीज भी बहुत महंगी और इंपोर्टेड थी। हर एक चीज़ बिल्कुल साफ सुथरी और एक यूनीक पैटर्न में रखी गई थी। 

चिराग ने हर एक चीज को बारीकी से देख रहा था। हर एक चीज़ पर इतनी पैनी नज़र बनाई हुई थी कि अगर हवा भी वहाँ से गुजर रही थी तो उस पर भी चिराग का ध्यान था। ग्लास पार्टिशन के एक साइड दीवार की तरफ चिराग को कुछ दिखाई दिया.. चिराग ने पास जाकर मैग्नीफाइंग ग्लास से देखा तो वो कुछ बाल जैसा ही दिखाई दे रहा था।
 
एक बहुत ही छोटा बाल का टुकड़ा था.. ऐसा लगता था जैसे नहाते टाइम पानी से बह कर वहां जाकर अटक गया होगा.. और सफाई करते टाइम बहुत मशक्कत करने के बाद भी वहां से नहीं निकला होगा।
चिराग ने उस बाल के टुकड़े को प्लकर से उठाकर ज़िप लाॅक बैग में रख लिया और फिर से अपनी खोजबीन में लग गया। 

चिराग इधर-उधर मैग्नीफाइंग ग्लास लेकर कुछ और ढूंढने में लगा हुआ था। उसने जकूज़ी के आसपास और उसके पास रखी टॉयलेट्रीज को भी उठा उठाकर चेक करना शुरु किया। ऐसे ही उठाकर चेक करते समय जैसे ही उसने टेलिफोनिक शावर को छुआ वैसे ही उसे कुछ चुभा… शावर एकदम से चिराग के हाथ से छूट गया और एक हल्की सी चीख चिराग के मुँह से निकल गई। 

शावर गिरने की आवाज से रुद्र और मृदुल दोनों ही बाथरूम का दरवाज़ा खोलकर जल्दी से अंदर आए। 
"क्या हुआ चिराग..?? क्या गिरा?? तुझे कहीं चोट तो नहीं लगी..??" मृदुल ने अंदर आते हुए घबराकर पूछा।

"नहीं यार..! बस कुछ अचानक से चुभा तो हाथ से शावर छूट गया.. बस उसी के गिरने की आवाज आई थी।" चिराग ने आवाज आने की वजह बताई।

"ओह..! देखें तो ऐसा भी क्या चुभ गया जिस ने चिराग दी ग्रेट के हाथों में से एक अदना से शावर को छुड़वा दिया।" रुद्र ने इस टेंशन भरे माहौल को हल्का बनाने की गरज़ से कहा और ध्यान से उस शावर को उठाकर देखने लगा।

जब रुद्र उस शावर को देख रहा था तभी उसे शावर के हैंडल के पास कुछ सफेद सी चुभने वाली चीज़ नज़र आई। रुद्र ने ध्यान से उसे प्लकर से पकड़कर खींचा तो एक छोटा सा नाखून का टुकड़ा निकला जिसके एक सिरे पर हल्का सा खून लगा हुआ था जो सूखा हुआ दिखाई दे रहा था। 

रूद्र ने प्लकर में पकड़े उस नाखून के टुकड़े को ध्यान से देखा.. और कहा, "चिराग क्या चुभन के कारण तुम्हारे हाथ में कहीं से खून निकला है क्या..??"

"नहीं तो.. क्यूँ क्या हुआ??" चिराग ने अपने हाथों को ध्यान से देखते हुए ज़वाब दिया।

मृदुल उस समय रुद्र के हाथ में पकड़े उस नाखून के टुकड़े को ही देख रहा था।

"आई एम सॉरी रुद्र..!!" मृदुल ने मायूसी से कहा।

"वाॅट..?? क्या?? मेरा मतलब है क्यूँ..?? क्या हो गया.. इस टाइम सॉरी क्यों बोल रहे हो??" रुद्र इस वक्त मृदुल के ऐसे सॉरी बोलने से एकदम शॉक में लग रहा था।

"सॉरी इसलिए कि अगर हम पहले ही अपना काम ठीक तरह से और ध्यान से करते तो शायद ये केस अब तक साॅल्व हो गया होता।" मृदुल ने मायूसी से ज़वाब दिया.. उसके स्वर में आत्मग्लानि का प्रबल भाव नज़र आ रहा था।

"तू कहीं पागल वागल तो नहीं हो गया है ना..!! तूने जानबूझकर इस केस की गंभीरता को नजरअंदाज थोड़ी किया है।"

"फिर भी रुद्र.. मेरी गलती थी!!" मृदुल की आत्मग्लानि कम ही नहीं हो रहीं थीं।

 "अबे एक बार और गलती का नाम लिया ना तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा.. आई बात समझ में…!" रुद्र ने थोड़ा सा धमकाते हुए मृदुल से कहा।  मृदुल ने गर्दन हिलाकर उसकी बात मानने का इशारा किया।

 "अब अगर तुम्हारा यह गिल्ट खत्म हो गया हो तो थोड़ा काम कर लें। अभी भी इस केस में बहुत कुछ ऐसा बाकी है जिसे हमें जल्द से जल्द ढूंढना है।" रुद्र ने कहा.. फिर कुछ रुककर.. "तो अब और ज्यादा टाइम वेस्ट ना करते हुए फटाफट से तुम लोग फिर से ढूंढा ढांढ़ी में लग जाओ।"

 "ओके बॉस..!!" बोलकर एक कड़क सैल्यूट देकर चिराग और मृदुल फिर से अपने अपने काम में लग गए।  

रुद्र और मृदुल दोनों ही वापस कमरे में आ गए थे और उन दोनों ने फिर से कमरे में खोजबीन चालू कर दी। 

अब मृदुल दीवारों को गौर से देख रहा था और रुद्र की नजर वहां लगे टेलिविजन पर गई.. उस टेलीविजन के एक कोने पर रूद्र को कुछ नजर आया। रूद्र ने गौर से देखा तो वहां पर उसे कुछ रेड रेड हल्का सा स्पाॅट दिखाई दिया था।

 रुद्र ने उसे देखा तो एक बार को तो उसे समझ नहीं आया कि वह क्या था??  पर फिर दोबारा देखने पर कुछ जमा हुआ दिखाई दिया। रुद्र ने मृदुल को बुलाकर उसे दिखाया.. दोनों ने ही जब उस चीज को देखा तो आंखों ही आंखों में इशारा हुआ और उस इशारे का मतलब था कि जो भी रुद्र सोच रहा था यह वही था। 

 रुद्र ने फिर से प्लकर से खुरच कर और उस रेड दिखने वाले पदार्थ को एक ज़िप लॉक बैग में भर लिया। उसके बाद वह लोग फिर से कमरे में ही इधर उधर कुछ ढूंढने में लग गए।

अब बस एक बेड ही देखना बचा था..रुद्र ने झुककर बेड के नीचे देखा तो उसे कुछ भी नहीं दिखाई दिया.. बेड के नीचे बहुत अंधेरा था.. तो रुद्र ने अपने मोबाइल की टॉर्च जलाई और उसे लेकर पलंग के नीचे घुस गया।

रुद्र जब बेड के नीचे कुछ ढूंढने की कोशिश कर रहा था तभी उसका हाथ बेड के नीचे वाले तले पर रगड़ खाया तो उसे वहां किसी चीज़ के होने का आभास हुआ।  पलंग के नीचे उसे कुछ चिपका हुआ था.. वो चीज़ बेड के नीचे वाले तले पर सैलो टेप से चिपकाई गई थी। रुद्र ने उसे सावधानी से निकला और लेकर बाहर आ गया।

तब तक चिराग भी बाथरूम से बाहर आ चुका था.. तीनों उसी बेड पर बैठकर उसे उलट पलट कर देखने लगे। रुद्र बस उस चीज़ को उलटे पलटे जा रहा था।

"भाई इसे खोलकर देख..! ऐसे बार बार पलटने से ये इस केस को सुलझाने की अहम कड़ी नहीं बन सकता। तो ज्यादा घूरे मत इसे और जल्दी से देख ले.. चार बजने वाले हैं.. रनवीर कभी भी आ जाएगा ये बताने की अब हमें यहां से निकलना होगा.. इसलिए भाई ज्यादा टाइम वेस्ट मत कर और खोल इसे।" चिराग ने रुद्र को उस चीज को जल्दी खोलने के लिए उकसाया।

"नहीं.. इसे यहाँ नहीं मेरे फ्लैट पर चलकर खोलेंगे।" रुद्र ने सपाट स्वर में कहा।

इसपर तीनों के तीनों बेड पर बैठे दीवारों को घूर रहे थे। बार बार रुद्र की नज़र सामने दीवार पर लगी.. हाथ से बनी एक पेंटिंग पर जा रही थी। वो पेंटिंग रुद्र का ध्यान बार बार आकर्षित कर रही थी.. अभी ही रुद्र का ध्यान उस पेंटिंग पर गया था। कुछ तो था उस पेंटिंग में जो रुद्र का ध्यान उसपर से हट ही नहीं रहा था।
रुद्र ना जाने किस आकर्षण में बंधा उस पेंटिंग की तरफ चल दिया.. जैसे ही रुद्र उस पेंटिंग को छूने ही वाला था कि तभी रनवीर ने कमरे में एन्ट्री की।

"सॉरी ऑफिसर्स..! घरवाले कभी भी वापस पहुंचते ही होंगे.. तो फ़िलहाल आप लोगों को जाना होगा।" रनवीर ने कमरे में आते हुए कहा।

वो रुद्र को उस पेंटिंग के पास खड़ा और उसे छूने की कोशिश करता देख उसके पास जाकर बोला, "सुन्दर है ना..??"

"हाँ..!! इट्स अमेज़िग..!!" रुद्र के मुँह से बेध्यानी में निकला।

"अनीता मैडम ने ही बनाई थी.. लास्ट मंथ!!" रनवीर ने उस पेंटिंग को निहारते हुए कहा।

"सॉरी ऑफिसर..!! इट्स ऑलमोस्ट फाइव..!! रनवीर ने फिर से उन्हें समय सीमा याद दिलाई।

"नेक्स्ट टाइम हम लोग कब आए.. इसके बारे मे कल ही बता दीजिएगा। मुझे एज़ सून एज़ पॉसिबल इस केस की फाइनल रिपोर्ट देकर केस बंद करना है।" रुद्र ने रनवीर को भी अपनी बातों में फंसाते हुए कहा।

"ओके..!! मैं आपको कॉल कर के कल सुबह ही आने के टाइम के बारे में क्लियर कर दूँगा।" रनवीर ने कहा।

"ओके..! वी आर वेटिंग फाॅर योर काॅल।"  कहते हुए रुद्र, चिराग और मृदुल तीनों ही अपने कलेक्ट किए ज़िप लाॅक बैग्स को लेकर बाहर निकल गए.. वहां से उन्होंने रुद्र की कार ली और उसमें बैठकर निकल गए।

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वहां से निकलकर वो तीनों फॉरेंसिक लैब गए जहाँ पर उन्हें फॉरेंसिक एक्सपर्ट समर मिला.. वही इस केस में पुलिस की मदद करने वाला था।

समर को रुद्र ने वो सभी कलेक्टेड सैम्पल देकर कहा, "समर तुम तो अच्छे से जानते ही हो के तुम्हें क्या करना है और कैसे करना है?? इस काम में तुम एक्सपर्ट हो लेकिन एक बात का ध्यान रखना कि जब तक मैं ना कहूं इस बात की जानकारी किसी को भी नहीं होनी चाहिए और सैम्पल की टेस्टिंग करते टाइम गलती से भी कुछ भी चीज छूटनी भी नहीं चाहिए। हर एक छोटी से छोटी बात भी तुम ध्यान रखना और उसके बारे में हर एक अपडेट मुझे टाइम टू टाइम देते रहना।"
 
समर ने भी रुद्र को आश्वासन देते हुए कहा,  "रुद्र तुम चिंता मत करो.. मैं हर चीज का बहुत अच्छे से ध्यान रखूंगा और जल्दी ही इन सभी चीजों की रिपोर्ट तुम्हें मिल जाएगी और अगर कोई और भी नई बात पता चलती है तो उसकी भी टाइम टू टाइम तुम्हें अपडेट मिलती रहेगी।"

मृदुल,चिराग और रुद्र  तीनों ने समर से हाथ मिलाकर उसे थैंक्स कहा और वहां से रूद्र के फ्लैट पर जाने के लिए निकल गए। जब वो लोग फॉरेंसिक लैब से  निकले तब तक शाम ही हो चुकी थी। 

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 लगभग 8:00 बजे वह लोग रूद्र के फ्लैट पर पहुंचे।  जैसे ही उन्होंने फ्लैट का डोर खोल कर अंदर एंटर किया.. उतने में ही कमिश्नर साहब का कॉल  आ गया।
 रुद्र ने कॉल उठा कर कहा, "हेलो..!!" 

"हेलो रुद्र..!!" सामने से आवाज आई। 

 "जी सर बताइए..!" रुद्र ने बिना किसी भाव के सवाल किया। 

"तुम आज दीप के घर इन्वेस्टिगेशन के लिए गए थे.. क्या रहा वहां का..??" कमिश्नर साहब ने पूछा। 

"कुछ नहीं सर..! कुछ ऐसी चीजें मिली हैं जो मुझे लगता है कि हमारे काम की हो सकती थी।  इसीलिए वह हमने वहां से ले ली और उन्हें टेस्टिंग के लिए लैब में भी भिजवा दिया हैं। अब जब तक रिपोर्ट नहीं आती उस बारे में कुछ भी कहना ठीक नहीं होगा।" रूद्र ने बताया।

"ठीक है..! फिर तुम मुझे टाइम टू टाइम अपडेट देते रहना।" कमिश्नर ने कहा।

"जी सर..! पर एक छोटी सी मदद चाहिए थी।"रूद्र ने कहा।

 "हां..! हां बोलो रुद्र क्या चाहिए??" कमिश्नर साहब ने पूछा।

 "नहीं सर ऐसा तो कुछ भी नहीं है। बस मुझे दीप के घर दो तीन बार और इन्वेस्टिगेशन के लिए जाने और उनके उसके परिवार के सदस्यों से पूछताछ की परमिशन चाहिए। ताकि मैं जल्दी से जल्दी इस केस के सारे पहलुओं पर ठीक से इन्वेस्टिगेशन करके ही किसी ठोस नतीजे पहुंच जाऊँ।" रुद्र में अपनी मांग बताई।

"ठीक है.. मैं दीप से कह दूंगा कि इस मामले में वह तुम्हें कॉओपरेट करें।" कमिश्नर ने उसकी बात मान ली।

"थैंक यू सर..!!" बोलते हुए रूद्र ने फोन काट दिया।

 फ्लैट के अंदर पहुंच कर रूद्र ने कबर्ड से अपने घर में पहनने के कपड़े लोअर टीशर्ट निकाले और हाथ मुंह धोने के लिए चला गया। जब वह वापस आया तो चिराग और मृदुल हाथ बांधे उसे घूर रहे थे। 

रूद्र ने पूछा,  "क्या?? ऐसे क्यों घूर रहे हो..??"

 "हम तुम्हें दिखाई नहीं देते क्या..?? तुझे पता है ना हम भी सुबह से तेरे चक्कर में घूम रहे हैं..??" मृदुल ने घूरते हुए कहा।

"हां तो..??"  रूद्र ने अपने कंधे उचकाते हुए पूछा।

"तो.. बदतमीज आदमी.. हमें भी कपड़े बदलने के लिए दे ताकि हम भी हाथ मुंह धो कर फ्रेश हो जाए।" चिराग ने मुंह बनाते हुए कहा। 

"ओह ऐसी बात है.. तो अलमारी से निकाल लेने चाहिए थे और कोई ना अब मैं निकाल देता हूं।" ऐसा बोलते हुए रूद्र ने उन्हें अपने लोअर टीशर्ट दिए।

 वह दोनों बाथरूम की तरफ हाथ मुंह धोने के लिए चले गए और रुद्र किचन में आ गया।

 रूद्र को हर चीज परफेक्ट प्लेस पर रखने की आदत थी.. इसीलिए उसका घर एक अकेले रहने वाले लड़के की तरह नहीं दिखता था। बल्कि बहुत ही ज्यादा साफ सुथरा और करीने से जमा हुआ दिखता था। उसकी किचन भी बहुत ज्यादा साफ-सुथरी रखी हुई थी।

 रूद्र ने किचन में जाकर चाय बनाई और तीन कप में डालकर अपने बेडरूम में ले गया। तब तक मृदुल और चिराग भी हाथ मुंह धो कर बाहर आ चुके थे। 

 तीनों बेड पर बैठ गए और केस के बारे में बातचीत करते हुए चाय पीने लगे।

 रुद्र ने साइड की दीवार पर देखा और जो बोर्ड टेबल के साइड में रखा हुआ था.. वह उठाकर दीवार के बीच में टांग दिया और उस पर कुछ चार्ट जैसा बनाने लगा।

 उसे बोर्ड पर कुछ करते देख चिराग ने उसे टोका और पूछा, "अब यह इस समय तो कौन सी पढ़ाई करने लगा है?? जिसके लिए यह आड़ी टेढ़ी लाइनें खींच रहा है। उसको छोड़ और शांति से बैठ कर पहले चाय पी ले।"

 मृदुल ने भी चिराग की हां में हां मिलाते हुए कहा, "हां रूद्र.. फटाफट से चाय पी ले वरना चाय ठंडी हो जाएगी।"

रुद्र के हाथ तब तक उस बोर्ड पर तेजी से चल रहे थे।  कुछ ही देर में उस पर एक चार्ट बनकर तैयार हो गया था। उसे ऐसे ही छोड़ कर रुद्र बेड पर आ कर बैठ गया और उस चार्ट को देखते हुए अपनी चाय पीने लगा। रुद्र का पूरा ध्यान उस बोर्ड पर ही था। मृदुल और चिराग दोनों ही असमंजस से रुद्र को ही देख रहे थे।  इस वक्त रुद्र के दिमाग में क्या चल रहा था.. वह तो रुद्र ही बता सकता था।  इस वक्त रुद्र बस शांति से उस चार्ट को घूर रहा था। मृदुल और चिराग ने इस समय रूद्र को डिस्टर्ब करना ठीक नहीं समझा और वह भी चुपचाप उस चार्ट को देखते हुए उसे समझने की कोशिश करने लगे।

 कुछ देर तक उस चार्ट को देखने के बाद चिराग से जब नहीं रहा गया तो उसने रुद्र से पूछा, "एक बात बता.. यह जो तूने इस बोर्ड पर यह विशेष मॉडर्न आर्ट की अपनी कला का प्रदर्शन किया है.. उसके बारे में आप की विशेष राय क्या है..??"

 रूद्र जिसका अब तक ध्यान सिर्फ उस चार्ट में ही था.. ने अजीब सी नजरों से चिराग को घूरा और कहा, "यह मॉडर्न आर्ट नहीं है.. अनीता के केस के बारे में जो जो क्लू और लिंक्स हमें मिले हैं उसके बारे में यह चार्ट बनाया है।"

 "ओह..!! अच्छा..!" चिराग ने कहा।

 "फिर एक बात बता.. यहां सिर्फ लाइनें ही क्यों है?? कुछ फोटोज, नोट्स.. वह सब कुछ भी तो लिखता.. ताकि किसी और को भी कुछ समझ में आए। अभी तो इसे देख कर कोई भी मॉडर्न आर्ट ही बोलेगा।" चिराग ने रुद्र का मज़ाक उड़ाते हुए कहा।

 "तू समझ कर भी क्या करेगा..? और जिसे समझ में आना चाहिए उसे आ रहा है ना??"  रूद्र ने चिराग के सर पर एक टपली मारते हुए कहा।

 "किसे समझ में आना चाहिए?? और किसे आ रहा है..?? यह भी बता देते महाराज तो आपकी बड़ी कृपा होती।"  चिराग ने अपना सर सहलाते हुए नाटक करते हुए पूछा।

"यार..! तुम दोनों चुप करोगे.. इतने सीरियस टाइम पर भी तुम लोगों को एक दूसरे की टांग खिंचाई करने से फुर्सत ही नहीं मिल रही है।" मृदुल ने दोनों को डांटते हुए कहा। 

 "ओ सॉरी..! सॉरी हम भूल ही गए थे कि हमारे साथ धैर्य शिरोमणि,  गंभीरता के अवतार और संजीदगी के महान पक्षधर श्री श्री 1008 श्री मृदुल जी महाराज है.. तो हमें उउनके म्मान में अपने शब्दों का और अपनी भावनाओं का प्रयोग सोच समझ कर करना चाहिए।"  चिराग ने मृदुल की तरफ हाथ जोड़कर कहा और रुद्र और चिराग एक दूसरे के हाथ में ताली मारते हुए जोर-जोर से हंसने लगे।

 "यार तुम कभी तो सीरियस हो जाया करो।" मृदुल ने कहा।

 "ओके ठीक है.. अब कुछ देर हम लोग सीरियसली काम पर ही ध्यान देंगे।  जितनी भी मजाक करनी है.. वह हम थोड़ी देर के बाद डिनर करते टाइम करेंगे। वैसे डिनर कौन बनाने वाला है..??"  रूद्र ने मृदुल और चिराग की तरफ देखते हुए सवाल किया।

 "मैं तो बिल्कुल नहीं बनाऊंगा.. हां अगर मृदुल बनाए तो मुझे खाने में कोई प्रॉब्लम नहीं है।" चिराग ने फट से जवाब दिया। 

 इस जवाब को सुनकर रूद्र ने मृदुल की तरफ देखा और मृदुल ने घूर कर चिराग की तरफ.. वहीं चिराग मुस्कुराते हुए मृदुल को ही देख रहा था 

"तो फिर डिसाइड हो गया कि मृदुल ही डिनर बनाएगा।"  रुद्र ने अपने बालों में हाथ फेरते हुए कहा।

 "कुछ डिसाइड नहीं हुआ है.. और मैं खाना नहीं बनाने वाला.. बाहर से आर्डर कर लो। मेरा बिल्कुल भी खाना बनाने का मन नहीं है।"  मृदुल ने मना करते हुए कहा।

 "तो फिर रुको..!! खाना नहीं बनाना तो कोई बात नहीं बाहर से अपनी अपनी पसंद का खाना ऑर्डर कर लेते हैं और खाना नहीं बनाने की सजा के रूप में बिल पेमेंट मृदुल करेगा।"  चिराग ने एक बहुत ही खतरनाक आईडिया दिया।

 "मैं क्यों करूंगा पेमेंट..?? जो खाएगा वह करेगा!!"  मृदुल ने कहा। 

 "तो फिर ठीक है..! हम चिट निकाल लेते हैं.. जिसका भी नाम आएगा वही पेमेंट करेगा!!"  रूद्र ने कहा।

 इस बात पर तीनों सहमत हो गए और चिराग ने चिट बनाई। चिट बनाने के बाद उसे निकालने की जिम्मेदारी मृदुल को ही दी गई।

 "देख भाई..! चिट तू ही उठा ले.. कल को तू यह बोले कि हमने बेईमानी की है.. और जबरदस्ती तेरे ही नाम की चिट निकाली है।" चिराग ने मृदुल को समझाते हुए कहा।

मृदुल ने एक चिट उठाई और उसे खोल कर देखा। उस चिट में लिखा नाम देखते ही मधुर का मुंह खुला रह गया और उसने रुद्र और चिराग की तरफ देखा।  

चिराग ने मुंह बनाते हुए उसके हाथ से चिट ले ली और चिट में लिखा नाम देखकर उसे बहुत जोर से हंसी आई। चिराग को हंसता देख रूद्र ने उससे वह चिट लेकर पढ़ी तो उसमें मृदुल का ही नाम लिखा हुआ था।

 चिराग ने मजाक उड़ाते हुए कहा, "ले..! इसमें भी तेरा ही नाम आया है.. खुद से पेमेंट कर देता.. अभी तो करना ही पड़ेगा। अब जा और खाना ऑर्डर कर!!"  चिराग ने मृदुल का मजाक उड़ाते हुए कहा और उसे खाना ऑर्डर करने के लिए बाहर भेज दिया। 

मृदुल के जाने के बाद चिराग ने रुद्र को आंख मारी और दोनों ने एक दूसरे को हाई-फाई देकर जोर जोर से हंसने लगे।

 रुद्र ने कहा, "जब तक वह खाना ऑर्डर करके आता है.. तब तक हम एक काम करते हैं। इस चार्ट को पूरा ही कर देते है.. ताकि तेरे जैसे बेवकूफ को भी समझ में आने लगे।" ऐसा बोलकर उस चार्ट पर अनीता की फोटो और जिन जिन लोगों से भी रूद्र, मृदुल और चिराग मिले थे.. उनके स्टेटमेंट सीरियल वाइज उस चार्ट पिन करना स्टार्ट कर दिया। 

मृदुल जब तक खाना आर्डर करके वापस आया.. तब तक चार्ट पूरी तरह से तैयार हो गया था। मृदुल ने उस चार्ट को देखकर रूद्र से कहा, "रुद्र इस पूरे चार्ट को गौर से देखने पर भी यह लग रहा है कि इसमें से कोई कड़ी मिसिंग है।"

 रुद्र ने भी हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा, "हाँ..!!  हां उसी मिसिंग कड़ी को ही तो हमें ढूंढना है.. और वह जल्द से जल्द हमें ढूंढनी  होगी। जितना ज्यादा टाइम बीतेगा.. उतनी ही सबूत मिलने की संभावनाएं कम होती जाएगी।"

 चिराग ने भी रुद्र की हां में हां मिलाई और कहा, "यह तो बिल्कुल ठीक बोल रहा हैं.. हम कल फिर से दीप के घर जाकर वहां पर और कुछ जानकारी निकालने की कोशिश करते हैं।"

 रूद्र ने मृदुल और चिराग को कहा, "हमारे पास टाइम बहुत कम है.. अब हम तीनों को अलग अलग होकर इन्वेस्टिगेशन करनी होगी.. तभी हम कुछ टाइम पर पता लगा पाएंगे।" 

मृदुल और चिराग ने रूद्र की बात पर सहमती जताई और कहा, "बिल्कुल.. हमें यही करना चाहिए।"

"तो फिर ठीक है..! मृदुल तुम एक काम करना.. तुम घरवालों से कल पूछताछ कर लेना और चिराग तुम समर के पास जाकर देखना कि उसका काम कहां तक पहुंचा और जो भी अपडेट मिले वह अपडेट तुम मुझे ला कर दोगे।  और मैं सबसे पहले मंदिर जाकर पंडित जी से मिलूंगा। आज सुबह तुम लोगों के पास पहुंचने की जल्दी में मैं उनसे पूरी बात नहीं कर पाया था। और हां..!! चिराग तुम्हारा नेटवर्क बहुत ज्यादा स्ट्रांग है ना..! तो यह पता करो कि दीप का परिवार कौन से आश्रम में जाता है और उस आश्रम की सारी जन्म कुंडली कल शाम तक हमें मिल जानी चाहिए।" रूद्र ने इस केस के लिए ज़िम्मेदारियां आपस में बांट ली।

 चिराग और मृदुल दोनों ने ही रूद्र से कहा,  "ठीक है.. हम अपना काम जल्द ही पूरा कर लेते हैं.  उसके बाद शाम को यहीं बैठ कर इस पूरे केस के बारे में डिस्कशन करेंगे।"

"लेकिन एक बात है..?" मृदुल ने बीच में ही टोका।

 "क्या बात है..? कोई प्रॉब्लम है..?" रूद्र ने बहुत ही सीरियसली मृदुल से पूछा।

 "हां प्रॉब्लम तो है.. और वह यह कि कल अगर हम यहां रात को डिस्कशन करते हैं तो डिनर या तो चिराग बनाएगा.. और अगर वह खाना खुद ना बनाकर बाहर से आर्डर करता है तो पेमेंट भी चिराग ही करेगा।"  मृदुल ने चिराग की तरफ देखते हुए आंख मार कर कहा।

 रूद्र ने अपना सर पीट लिया और कहा, "तुम दोनों लोग कभी नहीं सुधरने वाले..! एक्चुअली हम तीनों कभी नहीं सुधरने वाले..!!"  ऐसा कहकर तीनों ने एक दूसरे को ताली दी और जोर जोर से हंसने लगे।

 तब तक उनका आर्डर किया खाना भी आ गया था। तीनों वही बेड पर बैठ कर खाना खाने लगे। खाना खाते खाते रूद्र ना जाने कौन सी सोच में खोया हुआ था।

 उसे ऐसे सोच में डूबा देख मृदुल ने उसे झंझोड़ा और पूछा, "खाने में कोई प्रॉब्लम है क्या..??"
 
रूद्र ने कंफ्यूज होते हुए पूछा,  "क्या प्रॉब्लम..?? मतलब..??"

 "तो फिर तू खाना खाने की बजाय खाने को ऐसे घूर रहा है.. तो हमें लगा कि शायद खाने में कोई प्रॉब्लम है। किसी ने जहर वहर तो नहीं मिला दिया!!" चिराग ने रुद्र की टांग खींचने के लिए कहा।

 रूद्र ने हंसते हुए उनकी तरफ देखा और एक बाइट खाया और कहा, "खाने में तो कोई प्रॉब्लम नहीं है.. पर मेरे दिमाग में कुछ बार-बार खटक रहा है। दीप का कमरा इतना हाई-फाई और ब्रांडेड चीजों से भरा हुआ था.. पर वहां पर लगी अनीता की बनाई वो पेंटिंग मुझे बार-बार खटक रही है।  उस पेंटिंग में कुछ तो ऐसा है जो अनयूजुअल है.. मतलब पता नहीं कुछ अजीब लग रही है!!"  रूद्र ने कहा।

"चिराग एक बात पूछूं..?" रूद्र ने कहा।

 "अब तुझे बोलने के लिए भी मेरी परमिशन की जरूरत होगी क्या..? बता क्या बात है??"  चिराग ने कहा।

 "तू मेरे लिए दीप के बेडरूम में लगी उस पेंटिंग को गायब कर सकता है??"  रूद्र ने अचानक से बम फोड़ दिया।

 "क्याऽऽऽ..?? दिमाग खराब हो गया तेरा.. एक पुलिस वाले से चोरी करवा रहा है।" चिराग ने चौक कर थोड़ा गुस्सा होते हुए कहा।

 "देख बात ऐसी है.. कि अगर उसमें कुछ नहीं हुआ तो हम उस पेंटिंग को एज़ इट इज़.. वापस कर देंगे और अगर उसमें कुछ भी शक करने लायक होता है.. तो वह हमारे बहुत काम आ सकती है।" रूद्र ने कहा।

 "तो फिर भी.. हम जब वहां से और सबूत लायेंगे तो साथ में वो पेंटिंग भी ले लेगें। वह लोग मना थोड़ी ना कर देंगे।" चिराग ने कहा।

 "अगर वह पेंटिंग किसी भी तरह की सबूत होती है.. तो उन लोगों की नजरों में आने के कारण हो सकता है कि वह लोग कोई प्रॉब्लम पैदा कर दें।  इसीलिए हमें अगर वह पेंटिंग चाहिए तो चुरानी ही होगी।"  मृदुल ने रुद्र की जगह जवाब दिया।

 "क्या यार..! ऐसे उल्टे सीधे काम में तुम दोनों लोग मिलकर मुझे ही क्यों फंसाते हो।" चिराग ने मायूस होते हुए कहा। 

 मृदुल और रूद्र दोनों चिराग की तरफ आस भरी नजरों से देख रहे थे।

 "ठीक है..!! ठीक है..!! ज्यादा नौटंकी करने की जरूरत तो है नहीं। कर दूंगा चोरी.. पर बंगले से बाहर तक ही लाकर दूंगा।  मेन गेट से पेंटिंग बाहर निकालने की जिम्मेदारी तुम्हारी होगी।" चिराग ने  अपनी शर्त रखी।

 "ठीक है यार.. तू बस बंगले से बाहर ला देना.. मेन गेट के बाहर कैसे ले जानी है.. वह मुझ पर छोड़ दे।"  रूद्र ने कहा।

 अब तक वह लोग अपना खाना खत्म कर चुके थे।

"अब हम लोगों को सो जाना चाहिए। कल से फिर अनीता मिसिंग केस पर हाथ धोकर.. सॉरी..! सॉरी..!! नहा धोकर पीछे पड़ना है.. तो अभी रेस्ट कर लो।"  चिराग ने फिर से उन दोनों की टांग खींचते हुए कहा। ऐसे ही मज़ाक करते हुए वो तीनों सो गए।

अगले दिन सुबह 8 बजे रुद्र ने मृदुल और चिराग को उनके उपर पानी डालकर उठाया।

"उठ जाओ कुंभकरणों..!! पता नहीं कितना सोते हैं यह लोग।" रुद्र उनपर पानी के छीटें मारते हुए बड़बड़ाते जा रहा था। पानी डालते ही मृदुल और चिराग हड़बड़ा कर उठ बैठे। 

"क्या यार आठ ही तो बजे हैं.. और अभी से पानी डालकर जगा दिया। ऐसे कौन उठाता है..??" चिराग ने गुस्सा करते हुए कहा।

"कल ही किसी ने कहा था कि हम जल्दी से जल्दी अपना काम खत्म करेंगे.. ताकि सबूत टाइम के साथ खराब ना हो जाए।"  रुद्र ने मृदुल की तरफ देखते हुए चिराग को टोंट मारा। 

"हां. !! हां ठीक है..!! ठीक है..!! अब ज्यादा टोंट मारने की जरूरत तो है नहीं। जा रहा हूं अभी आता हूं तैयार होकर.. तब तक तो कुछ नाश्ता वास्ता बना ले.. भूखे पेट निकलेंगे क्या??"  चिराग ने रुद्र के कंधे पर रखी टॉवल ली और तेजी से बाथरूम में घुस गया। 

 आधा घंटे बाद तीनों नहा धोकर चाय और बिस्किट खा रहे थे।  रूद्र ने कुछ देखने के लिए अपनी जेब में हाथ डाला तो कुछ जेब से बाहर आकर गिरा।

 रूद्र ने उसे देखा तो उसे याद आया कि कल उसे दीप के बेड के नीचे से कुछ चिपका हुआ मिला था.. जिसे रुद्र ने अपनी जेब में डाल दिया था।  मृदुल और चिराग भी रुद्र के हाथ में उस सेलोटेप से चिपके हुए कुछ लिफाफे जैसी चीज को देख रहे थे। 

 "यह क्या है रूद्र..??"  चिराग ने पूछा।

 "यह कल रूद्र को दीप के बेड के नीचे से चिपका हुआ मिला था।" मृदुल ने जवाब दिया।

 "और तुम.. अब इसे देख रहे हो.. कल रात को क्या हो गया था।  तब तो बड़ा बोल रहे थे कि बेवकूफ लोगों को कुछ भी बताने की या समझाने की जरूरत नहीं।"  चिराग ने एक आइब्रो उठाकर रूद्र को देखते हुए कहा।

 "हां..! हां पता है.. एक्चुअली मैं भूल गया था इसके बारे में।" रूद्र  ने अपनी गलती मानते हुए कहा। 

 "ओ.. हो... महान, ज्ञानी और सबसे ज्यादा समझदार और जिम्मेदार नागरिक... सॉरी जिम्मेदार पुलिसवाला.. ओ.. सॉरी जिम्मेदार सस्पेंडेड एसीपी रुद्र..!! इतनी जरूरी चीज जेब में रख कर भूल गए थे।"  रुद्र की तरफ देखते हुए चिराग ने उसे ताना मारते हुए कहा।

 "हे राम..! किन लोगों से पाला पड़ गया मेरा.. अब तू ही बचा मुझे।"  रूद्र ने मृदुल और चिराग की तरफ देखते हुए हाथ जोड़कर कहा। 

"अब तुम लोग अपनी नौटंकी बंद करो और देखने दो कि इस में है क्या..??"  मृदुल ने रुद्र और चिराग को डांटते हुए कहा।

 रूद्र ने गर्दन हिला कर उसकी बात मान ली और बहुत आराम से सेलो टेप को खोलने लगा।

 सेलों टेप को खोलते खोलते उसके अंदर एक अखबार का टुकड़ा दिखाई दिया। उसके अंदर 2-3 दो हजार के नोट रखे थे.. और साथ में रखी थी एक छोटी सी चिट..!!

 रूद्र ने उस चिट को खोल कर देखा और पढ़ते-पढ़ते उसकी आंखें अचंभे से फैल गई थी। 



क्रमशः.....


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11 Comments

Shnaya

28-May-2022 07:43 PM

Nice part 👌

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Shrishti pandey

27-May-2022 12:58 PM

Very nice

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Aalhadini

27-May-2022 02:12 PM

धन्यवाद 🙏🏼

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Pallavi

26-May-2022 09:48 PM

👌👌👍

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Aalhadini

27-May-2022 02:12 PM

🙏🙏

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